मानसून कैसे आता है ? भारत का मॉनसून तंत्र | Monsoon in India Explained

मानसून कैसे आता है

भारत की जलवायु का सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावशाली मौसम चक्र मानसून है । हर साल जून से सितंबर के बीच दक्षिण-पश्चिम मानसून पूरे देश में बारिश लाता है, जिससे नदियाँ भरती हैं, खेती को सहारा मिलता है और तापमान संतुलित होता है ।

अक्सर लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि मानसून कैसे आता है, यह क्यों शुरू होता है और भारत में इतने महीनों तक वर्षा क्यों होती है । इस आर्टिकल में हम भारत के मॉनसून तंत्र को आसान भाषा में समझेंगे, ताकि हर पाठक इसका वैज्ञानिक और प्राकृतिक आधार सही तरह जान सके ।

भूमि और समुद्र के तापमान का अंतर 

भूमि और समुद्र

मानसून की प्रक्रिया सबसे पहले गर्मियों से शुरू होती है । यह अप्रैल और मई के महीनों में भारत की भूमि सूर्य की किरणों से बहुत तेजी से गर्म हो जाती है, जबकि समुद्र उतनी तेजी से गर्म नहीं होता है । भूमि और समुद्र के इस असमान तापमान के कारण वायुमंडल में बड़ा अंतर बनता है । भूमि गर्म होने से इसके ऊपर की हवा हल्की होकर ऊपर उठती है और वहाँ निम्न-दाब क्षेत्र (Low Pressure Area) बन जाता है ।

इसके विपरीत समुद्र के ऊपर उच्च-दाब क्षेत्र (High Pressure Area) बना रहता है। हवा हमेशा उच्च-दाब से निम्न-दाब की ओर जाती है, इसलिए समुद्र से नम हवा भारत की ओर बढ़ने लगती है। यही चरण बताता है कि मानसून कैसे आता है और इसका आरंभ कैसे होता है

निम्न-दाब क्षेत्र कैसे बनता है और मानसून को कैसे खींचता है ?

निम्न-दाब क्षेत्र

भारत के उत्तर-पश्चिम में स्थित थार मरुस्थल गर्मियों में अत्यधिक गर्म हो जाता है । 45–50°C तापमान के कारण यहाँ शक्तिशाली निम्न-दाब क्षेत्र बनता है । यह निम्न-दाब क्षेत्र अरब सागर और बंगाल की खाड़ी की ओर वायु खिंचाव पैदा करता है । नतीजतन नमी से भरी हवाएँ तेजी से भारत की ओर बढ़ने लगती हैं । यही खिंचाव शक्ति मानसून की वास्तविक शुरुआत करती है, जो स्पष्ट रूप से बताती है कि मानसून कैसे आता है और क्यों हर साल जून में शुरू होता है

समुद्र से आने वाली हवाएँ भारत में बारिश कैसे करवाती हैं ?

समुद्र से आने वाली हवाएँ

जब हवाएँ समुद्र से भारत की ओर बढ़ती हैं, तो वे समुद्र से बहुत अधिक नमी अपने साथ लेती हैं । अरब सागर की हवाओं में भारी नमी होती है, जबकि बंगाल की खाड़ी की हवाएँ पूर्वोत्तर और पूर्वी भारत में अत्यधिक वर्षा करवाती हैं ।
जब हवाएँ लंबी यात्रा तय करती हैं, तो उनमें जमा नमी बादलों का निर्माण करती है और आगे चलकर वर्षा का कारण बनती है । यह पूरी प्रक्रिया मानसून कैसे आता है और भारत में बारिश क्यों होती है का एक मुख्य वैज्ञानिक स्पष्टीकरण है ।

पहाड़ों की भूमिका – ओरोग्राफिक वर्षा और मानसून

पहाड़ों की भूमिका

नमी भरी हवाएँ जब हिमालय पर्वत या पश्चिमी घाट जैसी ऊँची पर्वत श्रंखलाओं से टकराती हैं, तो वे ऊपर उठने को मजबूर होती हैं ।  जैसे-जैसे हवा ऊपर जाती है, उसका तापमान घटता है और वह संघनित होकर बादलों में बदल जाती है । अंततः यह बादल बारिश के रूप में पानी बरसाते हैं ।

इस घटना को ओरोग्राफिक वर्षा (Orographic Rainfall) कहा जाता है । हिमालय मानसून की हवाओं को उत्तर दिशा में जाने से रोकता है और बारिश का मध्य एवं उत्तरी भारत में वितरण नियमित करता है । इस प्रकार यह समझना आसान हो जाता है कि भारत में मानसून कैसे आता है और कैसे वर्षा उत्पन्न होती है

भारत में मानसून कब आता है ? 

भारत में मानसून कब आता है

भारत मौसम विभाग (IMD) के अनुसार मानसून हर वर्ष एक निश्चित क्रम से आगे बढ़ता है । इसका पहला पड़ाव 1 जून को केरल होता है । इसके बाद यह कर्नाटक, गोवा और महाराष्ट्र होते हुए धीरे-धीरे गुजरात और पूर्वी भारत की ओर बढ़ता है । जून के अंतिम सप्ताह में मानसून बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल पहुँचता है ।

यह जुलाई के पहले सप्ताह में दिल्ली, पंजाब और हरियाणा तक पहुँच जाता है । लगभग 10–15 जुलाई तक पूरा भारत मानसून के प्रभाव में आ जाता है । यह वार्षिक चक्र बताता है कि मानसून कैसे आता है और देशभर में क्यों क्रमबद्ध तरीके से फैलता है

मानसून मजबूत या कमजोर क्यों पड़ता है ?

मानसून मजबूत या कमजोर

मानसून हर साल एक जैसा नहीं होता । कभी देश में अधिक वर्षा होती है, कभी कम । इसके पीछे मुख्यतः तीन बड़ी जलवायु घटनाएँ जिम्मेदार हैं:

एल-नीनो (El Niño) – वर्षा कम करता है
ला-नीना (La Niña) – वर्षा बढ़ाता है
हिंद महासागर द्विध्रुव (IOD) – मानसून को सकारात्मक या नकारात्मक दोनों तरह प्रभावित कर सकता है

समुद्र की सतह का तापमान, हवा की गति, और वैश्विक दबाव पैटर्न भी मानसून की ताकत तय करते हैं । यही कारण है कि वैज्ञानिक हर साल बताते हैं कि इस वर्ष मानसून कैसा आएगा

भारत में मानसून का महत्व – क्यों कहा जाता है जीवनरेखा ?

मानसून का महत्व

भारत की 60% से अधिक खेती मानसून पर आधारित है । धान, गन्ना, कपास, मूंगफली जैसी मुख्य फसलें वर्षा पर निर्भर करती हैं । मानसून नदियों, तालाबों, झीलों और बांधों को भर देता है । भू-जल स्तर में वृद्धि होती है और बिजली उत्पादन में सुधार आता है । इसलिए यह कहना गलत नहीं कि भारत का आर्थिक तंत्र, खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण जीवन – सब कुछ इस पर निर्भर है कि मानसून कैसे आता है और कितना मजबूत होता है ।

निष्कर्ष – मानसून कैसे आता है ? 

निष्कर्ष

मानसून भूमि और समुद्र के तापमान में अंतर, निम्न-दाब क्षेत्र, समुद्री नमी, और पहाड़ों के प्रभाव जैसे कई प्राकृतिक और वैज्ञानिक कारणों का संयुक्त परिणाम है । इस प्रक्रिया का हर भाग महत्वपूर्ण है, और यही कारण है कि भारत में मानसून को प्रकृति की सबसे सटीक और शक्तिशाली प्रणाली माना जाता है । अब आप समझ चुके हैं कि मानसून कैसे आता है, कैसे बनता है, और भारत में वर्षा लाने की इसकी यात्रा कितनी अद्भुत है ।

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